Introduction
भारत के चुनावों में EVM(Electoral Voting Machine) एक बहुत बड़ा रोल प्ले करती है। लेकिन हर चुनाव के बाद एक सवाल जरूर उठता है – “क्या EVM हैक हो सकती है?” और यहीं से शुरू होती है EVM Hacking के आरोपों की कहानी।
क्या आर्टिकल में हम समझेंगे कि EVM कैसे काम करती है, सुरक्षा कैसी होती है, और क्या सच है कि इसे हैक किया जा सकता है या ये सिर्फ एक राजनीतिक कहानी है।
EVM Basic Working
- Standalone Machine: ईवीएम इंटरनेट से कनेक्ट नहीं होती, इसलिए सीधे ऑनलाइन हैकिंग का जोखिम लगभग शून्य है।
- Two-Part System: Control Unit (Presiding Officer के पास ) + Ballot Unit (Voting के लिए).
- VVPAT Paper Trail: 2019 से, हर वोट का एक पेपर स्लिप रिकॉर्ड होता है जो वोटर को दिखाया जाता है।
Table of Contents
Security Measures
- Sealed & Locked:ईवीएम को मतदान से पहले सील किया जाता है, और कई राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति की जांच होती है।
- Mock Polling: Voting शुरू होने से पहले टेस्ट वोट डाल कर मशीन वेरिफाई होती है।
- No Wireless Connection: Machine me कोई Wi-Fi, Bluetooth ya SIM based connectivity नहीं होती.
- Randomization: Machines ko random allocation के through polling stations भेजा जाता है, ताकि pre-hacking का मौका न हो।
Common Allegations
- Vote Chori ka Accusation: विपक्ष का कहना है कि ईवीएम में सेट किया जा सकता है कि वोट एक पार्टी को ही जाए।
- Malfunction Claims: Voting के समय कुछ मशीनों में Technical Errors आने पर शंका बढ़ जाती है
- High Winning Margins: कभी-कभी परिणाम में अप्रत्याशित भारी जीत होने पर हैकिंग का संदेह उठता है।
Reality Check
- ECI’s Stand: Election Commission of Indiaका कहना है कि EVM Hack-proof है और हर कदम पर सुरक्षा सुनिश्चित की गई है।
- Expert Challenges: 2017 EC ने हैकर्स को ईवीएम हैक करने का ओपन चैलेंज दिया, लेकिन कोई सफल नहीं हो पाया
- Court Verdicts: Supreme Court ने भी EVM को secure बताया, लेकिन VVPAT verification ratio बढ़ाने का suggestion दीया.
Political Angle
EVM hacking के आरोप ज्यादा तर चुनाव हार के बाद उठते हैं। ये एक तरह का राजनीतिक हथियार बन चुका है जिसके समर्थकों को जुटाया जा सके और चुनावी विश्वसनीयता पर सवाल उठाया जा सके।
Conclusion
EVM hacking का विषय हमेशा controversial रहेगा, चाहे सुरक्षा उपाय कितने भी मजबूत क्यों न हों। सच तो यह है कि जब तक चुनाव रहेंगे, आरोप भी रहेंगे। लेकिन जनता को तथ्य समझना जरूरी है – लोकतंत्र तभी मजबूत होगा जब विश्वास और पारदर्शिता दोनों बनाए रखेंगे।
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